श्री विश्वकर्मा मंदिर का परिचय

देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा को समर्पित यह पावन धाम

मंदिर का महत्व

यह मंदिर भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जो देवताओं के शिल्पी माने जाते हैं। यहां भक्तगण अपने कार्य-व्यवसाय में उन्नति, परिवार की सुख-शांति और कल्याण की कामना से दर्शन करने आते हैं।

स्थान विवरण

मंदिर सुथारो का वास, हरजी गांव में स्थित है, जो तहसील आहोर, जिला जालोर, राजस्थान में आता है। यह स्थान अपनी धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

समुदायिक केंद्र

श्री विश्वकर्मा मंदिर कुल 24 गाव का मंदिर है जो की हरजी गाव में स्थित है यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि स्थानीय समुदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यहां विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है।

मंदिर का इतिहास

श्री विश्वकर्मा मंदिर हरजी का एक समृद्ध इतिहास है जो कई पीढ़ियों तक फैला हुआ है। यह मंदिर स्थानीय समुदाय की आस्था और भक्ति का केंद्र रहा है।

मंदिर का नवीनीकरण और विस्तार समय-समय पर होता रहा है, जिससे इसकी भव्यता में निरंतर वृद्धि हुई है। वर्तमान में मंदिर में एक नया भाग और सभा हॉल भी है।

मई 2025 में मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा और नव-निर्माण महोत्सव का आयोजन किया गया था।

पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक सुविधाओं का संगम

वास्तुकला और संरचना

मंदिर की भव्य वास्तुकला राजस्थानी शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है

सफेद मार्बल शिखर

मुख्य शिखर सफेद पत्थर/मार्बल से निर्मित है

सुंदर तोरण

कलात्मक तोरण और स्तंभों से सुसज्जित

सभा हॉल

त्योहारों और कार्यक्रमों के लिए विशाल हॉल

प्रकाश व्यवस्था

त्योहारों पर विशेष सजावट और रोशनी

प्रांगण

विशाल प्रांगण की सुविधा

मंदिर का विकास

समय के साथ मंदिर के विकास की यात्रा

प्राचीन काल

मंदिर की स्थापना और प्रारंभिक स्वरूप। स्थानीय समुदाय के द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना का प्रारंभ।

पुराना समय

विस्तार और नवीनीकरण

मंदिर परिसर का विस्तार, नई संरचनाओं का निर्माण और पुराने भागों का नवीनीकरण।

मध्यकाल

आधुनिक सुविधाएं

सभा हॉल का निर्माण, बेहतर प्रकाश व्यवस्था और भक्तों की सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं का जोड़ना।

आधुनिक काल

प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव

मई 2025 में नव-निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य आयोजन, जिससे मंदिर की गरिमा में और भी वृद्धि हुई।

2025

मंदिर के आंकड़े

संख्याओं में मंदिर की उपलब्धियां

365
दिन खुला रहता है
24
कुल गाँव
108+
वर्षों का इतिहास